कल लोकसभा की बत्ती बुझ गयी, वो भी बुझाइ गयी स्पीकर साहब द्वारा अब इन सोमनाथजी को कोई बताये कि बत्ती बुझाने से बच्चे तो डर सकते हैं, हमारे माननीय सांसद नहीं.
वैसे क्या आपको लगता है, कि प्रधानमंत्री को विपक्ष के सवालों का जवाब देने कि बजाय ऐसी बच्कानी हरकतो से विपक्ष चुप हो जायेगा?
और क्या शोर मचाने वाले सांसदो को चियरलीडर की उपाधी देना उनका मजाक उडाना नहीं है? चाहे चियरलीडर मसले पर आपका पक्ष कोई भी हो लेकिन एक मुद्दा उठाने वाले का उसी मुद्दे को लेकर चिडाना, लोकसभा के सभापती को तो शोभा नहीं देता है,
अगर आपको लगता है कि आप संसद को नहि चला पा रहे तो किसी और को ये जिम्मेदारी दीजिये लेकिन कम से कम सांसदो का और संसद का इस प्रकार मजाक मत बनाइये।
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